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________________ अजितशान्ति स्तवनम् ॥ ( पदार्थ ) ( छत्र ) छत्र ( चामर ) चामर ( पड़ाग ) पताका (जूव ) स्तंभ ( जव ) यव इत्यादि चिन्होंसे (मंडिआ ) शोभित ( ज्झयवर ) श्रेष्टध्वज ( मगर ) मकर (तुरय) अश्व ( सिविच्छ ) श्रीवत्स इत्यादि है ( सुलंछना ) सुलांछन जिन्होंमें ( दीव ) द्वीप ( समुह ) समुद्र ( मंदर ) सुमेरुपर्वत ( दिसागय ) दिग्गज इन्होंसे ( सोहिआ ) शोभित ( सत्थिअ ) स्वस्तिक ( सह ) वृषभ (सीह ) सिंह (सिरि ) लक्ष्मी (वच्छ ) वृक्ष इत्यादि ( सुलंछणा ) लक्षण हैं जिन्होंमें । ( भावार्थ ) ५२ छत्र चामर पताका स्तंभ यव श्रेष्टध्वज मकर अश्व श्रीवत्स द्वीप समुद्र सुमेरुपर्वत दिग्गज स्वस्तिक वृषभ सिंह लक्ष्मी वृक्ष इत्यादि चिन्हों से सुशोभित । ( वानवासिकछंदः ) ॥ वाणवासिआ ॥ सहावलट्ठा समपट्ठा अदोसदुट्टा गुणेहिं जिट्ठा । पसाय सिट्टा तवेण पुट्ठा सिरीहिं इट्ठा रिसीहिं जुट्ठा ॥ ३३ ॥
SR No.002456
Book TitleStotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantimuni, Shreedhar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages214
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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