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________________ mmmmmmmmmmmmmm मुरबाडमां गुरुदेवनां दर्शनथी थयेलो आह्लाद.. ७३ पूनाथी मुरबाड, मुरबाडमां गुरुदेवनां दर्शनथी __थयेलो अत्यानंद. आ प्रमाणे आज्ञा न मळवाथी पूनानो श्रीसंघ हतोत्साह थयो, अने नाराज चित्ते विहार करवानी अनुमति आपी. पूनाथी मुनिराज श्री भावविजयजी महाराज पोताना शिष्यरत्नो साथे विहार करी मुरबाड आव्या, गुरुदेवने भक्तिभीनुं वन्दन कर्यु, अने घणा वखते गुरु-महाराजनां दर्शन करी अवर्णनीय हर्ष पाम्या. मुरबाडथी मुंबई, मुंबईमां चतुर्मास. - मुरबाडथी मुनिराज श्री भावविजयजी महाराज, गुरुदेव आचार्यजी महाराज श्री विजयेन्द्र सूरीश्वरजी महाराज साथे विहार करता करता भायखाला पधार्या. अहींथी श्री आदीश्वरजीनी धर्मशालामां चतुर्मास करवा माटे पधारवा आगेवान श्रावको तरफथी विनति थइ, अने बेंड विगेरे ठाठ-माठथी सामैयुं करवामां आव्यु. सामैयामां चतुर्विध श्रीसंघ साथे मुंबईनी झवेरी बजार, शराफबजार, विगेरे मुख्य-मुख्य लत्ताओमां फरी, श्री गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु विगेरे प्रतिमाजीओनां दर्शन करी, श्री आदीश्वरजीनी धर्मशालामां पधार्या. अहीं चतुर्मास दरम्यान हमेशां व्याख्यान वांचवानुं शरु कयु. अनेक भाविक श्रावक-श्राविकाओ देशनानो लाभ लेवा लाग्या.
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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