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________________ vvv बेलगाम अने वीजापुर तरफ विहार, चतुर्मास माटेनी विनति. ६३ समयमां विशेष लाभ मळवाथी आ महात्माश्रीने चातुर्मास माटे पोताना शहेरमां रोकवा उत्कट इच्छा थइ, अने तेथी तेमणे आग्रहभरी विनति करी. वळी कर्णाटकमां आ प्रभावशील मुनिवर्ये ज्या ज्यां विचरी पोतानी अमृतमय-देशनानो अमूल्य लाभ आप्यो हतो ते ते आसपासना पुष्कळ गामो अने शहेरो तरफथी विनति करवा माटे अग्रेसरो आववा लाग्या, अने पोताना गाममां पधारी चतुर्मास करवा नरमाशथी विनति करी, परंतु हजु चतुर्मासने विशेष टाइम होवाथी जेवी क्षेत्र फरसना कही मुनिवर्ये जवाब आप्यो. बेलगामथी बीजापुर. . बेलगामथी विहार करी अनुक्रमे निपाणी पधार्या, त्यां थोडा दिवस स्थिरता करी व्याख्यान-वाणीनो अच्छो लाभ आप्यो. निपाणीना भाविक श्रावकोए पण त्रणे मुनिवर्यनी यथाशक्ति भक्ति करी. त्यांथी मुनिराज श्री भावविजयजी महाराज पोताना बन्ने शिष्यरत्नो साथे मुधोळ पधार्या, अहीं जैन भाईओनी वस्ती ठीक छे, वळी सुखी छे तेथी मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजे भव्य देरासरजी कराववानो उपदेश आप्यो, मुधोळना भाविक श्रावकोए आ हकीकत लक्ष्यमां लीधी. त्यांथी बीजापुर तरफ विहार कर्यो, अने संवत् १९८९ ना जेठ शुदि १३ ना रोज बीजापुरना उत्साही श्री संघ तरफथी करायेला भव्य स्वागत अने धामधूमपूर्वक बीजापुर, शहेरमा प्रवेश कर्यो.
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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