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________________ मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र. पण निश्चित करवामां आव्यो. आमन्त्रण - पत्रिका अने कार्यक्रमनी नकल नीचे मुजब छे ४२ श्री वीतरागाय नमः । परमगुरुदेव शास्त्रविशारद - जैनाचार्य - श्रीमद्विजयधर्मसूरिभ्यो नमः ॥ श्री कर्णाटकदेशे धारवाड नगरे प्रतिष्ठा महोत्सवे श्री संघामन्त्रण पत्रिका श्री सिद्धक्षेत्र चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रभु, श्री नेमिनाथ स्वामी और श्री मुनिसुव्रत स्वामी प्रतिष्ठा - महोत्सव. फ्र 品卷 फ्र 甌 मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमः प्रभुः । मंगलं स्थूलभद्राद्या, जैनो धर्मोऽस्तु मंगलम् ॥ १ ॥ शिवमस्तु सर्वजगतः, परहितनिरता भवन्तु भूतगणाः। दोषाः प्रयान्तु नाशं, सर्वत्र सुखी भवन्तु लोकाः ||२||
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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