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________________ मुनिवर्यनो उपदेश, दीक्षा लेव ने बैयार थयेला बे नरवीरो. ४१ बन्ने महाशयोनो वैराग्य दृढ थयो. मुनिवर्य माने छे के, कोइने खवर आप्या वगर दीक्षा अपाइ होय, अने पछीथी जो कांइ वांधो के झघडो उपस्थित थयो होय तो तेथी दीक्षा आपनार अने लेनार बन्नेना आत्मा कलुषित थाय छे, अने क्लेश उत्पन्न थतां श्रीसंघमां पण कुसंपनां झेरी बीज रोपाय छे. आम थवाथी श्रीसंघनी सेवाने बदले आशातना थवानो वधारे संभव छ. एम विचारी तेमणे श्रीसंघने एकठो करी आ हकीकत जणावी. धारवाडना श्रीसंघे बन्ने भव्यात्माओनी पात्रता जोइ घणाज मान साथे अनुमति आपी; एटलुंज नहिं, पण ए दीक्षामां संपूर्ण साथ आपवा अने पोताथी बनतुं करवा वचन आप्यु. वळी आ बन्ने ब्रह्मचारीओनी दीक्षा माटे कोइने काइ वांधा जेवू होय तो ते जणाववा भावनगरना जैन पत्रमा पण मुनिवर्ये पोतानी सहीथी जाहेर-खबर आपी दीधी, तथा दीक्षातिथि जणाववामां आवी. परंतु देश-परदेशमाथी पण कोइ तरफथी आ दीक्षा माटे वांधो लेवामां आव्यो नहिं, अने दीक्षानुं मुहूर्त पण फागण शुदि त्रीजनुं नक्की करवामां आव्युं. ___उपर मुजब प्रतिष्ठा-महोत्सव अने दीक्षा-महोत्सवनक्की थतां धारवाडना श्रीसंघ तरफथी अने मारवाड-सेवाडीवाळा शाह पुनमचंद अमीचंदनी सहीथी हिंदी भाषामां सुशोभित रीते सुंदर टाइपथी आमन्त्रण पत्रिका छपाववामां आवी. तथा आ शुभ प्रसंगना. दिवसोनो नित्य कार्य-क्रम
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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