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मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र.
बीजी प्रजानां दिल विशेष दूभाय छे, अने तेथी हाल तुरतमां आखा राज्यमां गौवध बंध न थवाथी मने खेद थयो छे. परंतु बधी प्रजा तरफ सम-दृष्टि राखवी ए पण राजाओनी फरज छे. ए लक्ष्य उपर लेतां हालमा आखा राज्यमां गौवध बंध करी शकायो नथी, परंतु ते तरफ मारु लक्ष्य अवश्य रहेशे, अने समय आवतां ए पण कार्य थई रहेशे." ___धर्मनिष्ठ मैसुर-नरेश कैलासनी महान् यात्राए पधार्या, अने यात्रा करी मैसुर आवतां तेमने भिन्न भिन्न समाज तरफथी अभिनंदन आपवा तैयारी थई रही. आवा प्रजापालक दयालु राजवीने श्री संघ तरफथी पण अभिनंदन पत्र अपाय तो तेमां शासननी शोभा छे, एम विचारी श्रीसंघे मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजने अभिनंदन-पत्र तैयार करी आपवा विनति करी. मुनिराजश्रीए श्रीसंवनी विनतिथी विद्वत्ता पूर्ण संस्कृत-श्लोकोमा अभिनंदन पत्र तैयार करी आप्यु, तेने श्री संघ तरफथी उंचा कागळो उपर मनोहर मोटा टाइपथी छपाववामां आव्यु, अने मैसुर नरेशने घणाज मान-पूर्वक आपवामां आव्यु. अभिनंदन-पत्रनी नकल नीचे मुजब छे