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मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र.
गुरुदेव विगेरे साथे मद्रासमां चतुर्मास कयु. अहीं पण मुनिराज श्री भावविजयजीए उपाध्यायजी महाराज श्री मंगळविजयजी महाराज पासे भगवतीजी सूत्रनुं अवलोकन कयु. चतुर्मास पूर्ण थतां मद्रासथी गुरुदेव विगेरे साथे विहार करता करता बेंगलोर आव्या, अने संवत् १९८६ नी सालमां बेंगलोरमां चतुर्मास कयु. अहीं पण योग वहन कर्या, अने अवशेष केटलाक आगमोनुं उपाध्यायजी श्री मंगळविजयजी महाराज पासे अवलोकन कर्यु, तथा उपाध्यायजी महाराज पासे न्यायनो अभ्यास शरु कयों, जेमा सटीक तर्क संग्रह पूर्ण कर्यो. बेंगलोरथी करेलो विहार, मैसुरमां चतुर्मास, मैसुर नरेशने करावेलु उपदेशामृत, पान, पोताना राज्यमां गौवध अटकाववानुं नरेन्द्रे आपेलं वचन, मैसुर शहेरमां
बंध थयेल गौवध. चातुर्मास पूर्ण थतां मुनिराज श्री भावविजयजीए बेंगलोरथी विहार को. आ तरफ मांस अने मदिरा-पाननो प्रचार विशेष होवाथी मुनिश्रीए रस्तामां आवतां शहेरो अने गामडाओमा जाहेर लेक्चर देवां शरु काँ. तेमनो उपदेश सांभळी हजारो मनुष्योए मांस-मदिरानो त्याग कयों. अनु