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________________ १० मुनिराज श्री भावविजयजी महाराजनुं जीवन चरित्र. शिहोरमां धार्मिक शिक्षक तरीके बजावेली उत्तम सेवा, अने मळेली संपत्तिनो करेलो सदुपयोग. हिम्मतनगरथी संघना आगेवानोनी अमीभरी विदाय लइ पालीताणा आव्या. मातुश्री वृद्ध होवाथी, पोताना लघुपुत्रने देशमा पोतानी दृष्टि आगळ राखवानी तेमनी उत्कट इच्छा हती; वडिल भाईओनी पण एज अभिलाषा हती, अने तेथी विनयशील पंडितजीए आप्तजनोनी इच्छाने मान आपी देशमांज थोडो वखत रहेवानो निर्णय कर्यो. परंतु आर्थिक स्थिति अतिशय निर्बल होवाथी तेमने नोकरी कर्या वगर छूटको नहोतो. एवामां शिहोरनी पाठशालामां शिक्षकनी जग्या खाली हती. पंडितजीए आ जग्यानी मागणी करतां तुरत संवत् १९७४ नी सालमा धार्मिक शिक्षक तरीके गोठवाया; अने राबेता मुजब पाठशाला चालु करी दीधी. पूर्वपुण्यना उदयथी केटलाएक मालेतुझार बनी मळेली संपत्तिने अमन-चमन अने मोज-मझामां उडावे छे, अने तेमांज पोताने मळेल लक्ष्मीनी सार्थकता माने छे. केटलाक धनिको मळेल लक्ष्मीने यथाशक्ति धार्मिक कार्योमां वापरी पोताना मनुष्य-जन्मने भाग्यशाली बनावे छे. परंतु जेमनी पासे एवी संपत्ति नथी, मांड-मांड कुटुंब निर्वाह चलावी शके एवी आर्थिक स्थिति निर्बल होय; छतां
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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