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श्री वृद्धशान्तिः
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शिवगति १४, अस्ताग १५, नमीश्वर १६, अनिल १७, यशोधर १८, कृतार्थ १६, जिनेश्वर २०, शुद्धमति २१, शिवकर २२, स्यन्दन २३, संप्रति २४, एते अतीतचतुर्विशति तीर्थंकराः ।।
ॐ श्री ऋषभ १, अजित २, संभव ३, अभिनन्दन ४, सुमति ५, पद्मप्रभ ६, सुपार्श्व ७, चंद्रप्रभ ८, सुविधि ६, शीतल १०, श्रेयांस ११, वासुपूज्य १२, विमल १३, अनन्त १४, धर्म १५, शान्ति १६, कुंथु १७, अर १८, मलि १९, मुनिसुव्रत २०, नमि २१, नेमि २२, पार्श्व २३, वर्धमान २४, एते वर्त्तमानजिनाः ॥
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ॐ श्रीपद्मनाभ १, शूरदेव २, सुपार्श्व ३, स्वयंप्रभ ४, सर्वानुभूति ५, देवश्रुत ६, उदय ७, पेढाल ८, पोट्टिल ६, शतकीर्ति १०, सुव्रत ११, अमम १२, निष्कषाय १३, निष्पुलाक १४, निर्मम १५, चित्रगुप्त (प्ति) १६, समाधि १७, संबर १८, यशोधर १६, विजय २०, मल्ल (लि) २१, देव २२, अनन्तवीर्य २३, भद्रंकर २४ ॥ एते भावितीर्थंकरा जिनाः शान्ताः शान्तिकरा भवन्तु ॥ ॐ मुनयो मुनिप्रवरा, रिपुविजयदुर्भिक्षकान्तारेषु दुर्गमार्गेषु रचंतु वो नित्यम् ॥ ॐ श्रीनाभि १, जितशत्रु २, जितारि ३, संवर ४, मेघ ५, धर ६, प्रतिष्ठ ७, महासेननरेश्वर ८, सुग्रीव ९, दृढरथ १०, विष्णु ११, वसुपूज्य १२, कृतवर्म १३, सिंहसेन १४, भानु १५, विश्वसेन १६, सूर १७ सुदर्शन १८, कुंभ १६, सुमित्र २०,