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________________ ( ४ ) श्री सप्त स्मरणादि नित्यस्मरण. जण थुचि चुत्र कलिकलुषं ॥ संतिसुहष्पवत्तयं तिगरण पयो, संतिमहं महा मुणि सरणमुवणमे || १ || ललिअयं ॥ विणश्रणय सिर रइ अंजलि, रिसिंगण संधुचं थिमि । विवाहिव धणवइ नरवह, थुअ नहियच्चित्रं बहुसो ॥ अइ गय सरय दिवायर, समहित्र सप्पभं तवसा : गयणंगण वियरण समुझ्य, चारण वंदि सिरसा ।। १९ ।। किसलयमाला ॥ असुर गरुल परिवंदिअं, किन्नरोरग नमसि || देव को डिसयसंथुचं, समण संघ परिवंदि ॥ २० ॥ सुमुहं ॥ अभयं अणहं, अरयं अरुयं । अजि अजिनं, पयचो पणमे ||२१|| विज्जुविलसि । आगया वरविमाण, दिव्ध कणग रह तुरय पहकर सएहिं हुलिश्रं ॥ ससंभमोअरण खुभित्र, लुलि चल कुंडलं गय तिरीड सोहंत मउलिमाला ॥२२॥ यो || जं सुरसंघा सासुर संघा, वेर विउत्ता भत्ति सुजुत्ता आयर भ्रूसिय संभम पिंडि, सुसुविम्हिय सव्वबलोघा || उत्तम कंचण रयण परुविय, भासुर भूमण भासुरिअंगा गाय समोणय भत्तिवसागय, पंजलिपेसिअमीस पणामा || २३ || रयणमाला || वंदिऊण थोऊण तो जिणं, तिगुणमेव य पुणो पयाहिणं ।। पण मिऊण य जिणं सुरासुरा, पमुइया सभवणाई तो गया || २४ ॥ खित्तयं ॥ तं महासुमिहंपि पंजली, राग दोस भय मोह वज्जियं ॥ देवदाणव नरिंद वंदि संतिमुत्तम महातवं नमे || २५ || खित्तयं ॥ अंबरंतरवियारिणिहिं, ललि हंसबहुगामिशिश्रहिं || पीण सोयिथण सालिखिहिं, सकल कमलदललोअणि
SR No.002455
Book TitleSubhashit Shloak Tatha Stotradi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay
PublisherBhupatrai Jadavji Shah
Publication Year1935
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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