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________________ (७) यत्ल करें । अन्यथा अपने मनसूबेको छोड़ दें । बीचकी स्थितिवाले मंत्र-शास्त्रसे लाभ उठा सकेंगे, इसका हमें सन्देह है । बल्कि आश्चर्य नहीं कि लाभके बदले हानि उनके पल्ले पड़ जाय और फिर उससे पीछा छुटाना भी उनके लिए कठिन हो जाय। हमारा विनयपूर्वक अनुरोध है कि पाठक हमारी इस प्रार्थना पर विशेष ध्यान दें। ___ इसके सिवा मंत्र-शास्त्रके सम्बन्धमें एक और बात विशेष ध्यान देनेकी है । वह यह कि मंत्रोंकी आराधना बहुत शुद्धताके साथ होनी चाहिए । अक्षर वगैरहके उच्चारणमें ह्रस्व, दीर्घ आदिका पूर्ण विचार रखना चाहिए । क्योंकि इस विषयमें भगवान समन्तभद्रका मत है कि:__ 'न हि मन्त्रोऽक्षरन्यूनो निहन्ति विषवेदनां।' अर्थात् अक्षर-रहित मंत्र विषकी पीडाको नष्ट नहीं कर सकता । विष-पीड़ा यहाँ सामान्य समझना चाहिए । आचार्यका आशय है कि अशुद्ध मंत्रसे कोई काम सिद्ध नहीं हो सकता। इस पुस्तकमें रूपने मंत्रोंके साथ साधन-विधि और यंत्र भी लगा दिये हैं। यंत्र क्रमबार सबके जन्तमें लगे हैं । साधन-विधि मंत्रोंके साथ है । मंत्रविधिके सम्बन्धमें विशेष यह कहना है कि कई मंत्रोंकी तो इसमें पूर्ण विधि है और कई मंत्रका केवल फल मात्र लिखा है। हमारे पास जितनी प्रतियाँ थीं, उन सबमें एकसा पाठ था। इसका कारण शायद यह हो कि कई श्लोकोंके मंत्रोंका फल परस्परमें मिलता है, इसलिए हो सकता है कि ऐसे मंत्रोंकी साधन-विधि एक ही हो; और इसी लिए दुबारा फिर उसके सम्बन्धमें नहीं लिखा गया हो। जो हो, ऐसे सामान्य विधिवाले मंत्रोंका जाप्य प्रतिदिन तो देना ही चाहिए। इसके सिवा किसी दूसरी प्रतिमें विशेष हो तो उसे सुधार लेना चाहिए। ऐसी विधिवाले मंत्र ये हैं-- नं. १४-२२-२५-२७-२८-३०-३१-३५-३८-३९-४१-४२-४३ ४४-४५। इसके सिवा और भी कुछ मंत्र ऐसे हैं जिनके विषयमें केवल १०८ बार ही जाप देनेका लिखकर विशेष विधि छोड़ दी गई है। इन सब बातोंका खुलासा किसी प्राचीन पुस्तकमें देखना चाहिए । हमें जितनी विधि उपलब्ध हुई उसे हमने बलिख दिया है। __ हमें यंत्रमंत्रकी पाँच प्रतियाँ प्राप्त हुई थीं। इनके सिवा एक कर्णाटक लिपिमें छपी हुई पुस्तक भी हमने मंगाई थी; पर वे प्रायः सबं ही अशुद्ध थीं। हमसे जहां तक
SR No.002454
Book TitleBhaktamar Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherJain Sahitya Prasarak karyalay
Publication Year1930
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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