SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (८२) ५-पीला वस्त्र पहन कर सात दिन तक १००० ऋद्धि, मन्त्र प्रतिदिन जपना, पीले फूल चढ़ाना तथा कुन्दरू की धूप जलाना चाहिये। जिसके नेत्र दुखते हों, उसे दिन भर भूखा रख कर शाम के समय २१ बार मंत्र से मंत्रित करके बतासे जल में घोल कर पिलाये जावें या नेत्रों पर छींटे दिये जावें तो नेत्र को आराम हो जाता है। मंत्रित जल कुए में छिड़कने से लाल कीड़े कुए में नहीं होने पाते । यन्त्र अपने पास रखना चाहिये। ६–२१ दिनों तक प्रतिदिन १००० बार ऋद्धि व मंत्र जपने और यन्त्र अपने पास रखने से विद्या प्राप्त होती है । बिछुड़ा हुआ व्यक्ति पा मिलता है । मन्त्र व ऋद्धि का जाप लाल वस्त्र पहन कर करना चाहिए, पृथ्वी पर सोना तथा एक बार भोजन करना चाहिये, लाल फूल चढ़ाने चाहियें तथा कुन्दरू की धूप खेनी चाहिए। ७-प्रतिदिन हरी माला से १०८ बार ऋद्धि-मन्त्र २१ दिन जपना चाहिये । ऐसा करने से तथा यन्त्र को गले में बांधने से सांप का विष उतर जाता है और भी किसी तरह का विष प्रभाव नहीं करता । यदि १०८ बार ऋद्धि मन्त्र से कंकड़ी मंत्रित करके सर्प के शिर पर मारी जावे तो सर्प की लित हो जाता है। लोबान की धूप खेनी चाहिये । यन्त्र हरा होना चाहिये । ८-अरीठे के बीजों की माला के द्वारा २१ दिन तक १००० जाप करने से तथा यन्त्र को अपने पास रखने से सब प्रकार का अरिष्ट दूर होता है। यदि नमक के ७ छोटे टुकड़ों को १०८-१०८ बार मन्त्र पढ़कर मंत्रित करके पीडायुक्त किसी अंग को झाड़ा जावे तो पीड़ा दूर हो जाती है। घी और गुग्गुल की धूप खेनी चाहिये तथा नमक की डली से होम करना चाहिये ।
SR No.002453
Book TitleBhaktamar Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherShastra Swadhya Mala
Publication Year1974
Total Pages152
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy