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________________ तित्थोगाली पइन्नय ] [ २५ इन कुलकर पत्नियों के संहनन संस्थान और शरीर की ऊंचाई उनके पति के समान ही थी । शरीर के वर्ण की दृष्टि से वे सभी केवल एक प्रियंगु (जामुन ) वर्ण की थीं |८०| पलिओम दसभाओ, पढमस्साऊ तओ असंखिज्जा | ते आणुपुत्रहीणा, पुत्रा नाभिस्त संखेज्जा । ८१ । (पल्योपमदशभागः प्रथमस्य आयुः तत असंख्येयाः । ते आनुपूर्व्या हीना, पूर्वा नाभेः संख्येयाः ) प्रथम कुलकर विमलवाहन को आयु पल्योपम का दशवां भाग थी । तदनन्तर द्वितीय कुलकर से छठे कुलकर - इन पांच कुलकरों की आयु असंख्यात पूर्व की किन्तु पूर्ववर्ती से पश्चाद्वर्ती की उत्तरोत्तर अल्प थी । अन्तिम कुलकर नाभि की आयु संख्यात पूर्व की थी । ८१ । I 'पुव्वस्स उ परिमाणं, सयरिं खल हुंति कोडिलक्खाउ छप्पन्नं च सहस्सा, बोधव्वा वास - कोडी | ८२ | ( पूर्वस्य तु परिमाणं, सप्ततिः खलु भवन्ति कोटिलक्षाः । पट्पंचाशच्च सहस्राः, बोद्धव्याः वर्ष कोटीनाम् ।) पूर्व का परिमाण यह है कि ७० करोड़ लाख और ५६ हजार करोड़ वर्षों का एक पूर्व होता है । ८२ । जं चैव आउयं कुलगराणं, तं चैव होई तासिंपि । जं पढमगस्स आउ तावईयं होइ हथिस्स | ८३ | १. होई पुव्वंगमेगं, चुलसीई वरिसलक्ख सखाए । तं तग्गुणं तु पुव्वं, सत्तरि छप्पन्न दसलक्खा ॥ 1 भरियं च - पुव्वस्स उ परिमाणं, सर्यारि खलु होंति कोडि - लक्खाओ | छप्पनं च सहस्सा, बोधव्वा वास - कोडी | - कहावली - ( प्रप्रकाशित )
SR No.002452
Book TitleTitthogali Painnaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherShwetambar Jain Sangh
Publication Year
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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