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तित्थोगाली पइन्नय ]
.. [ ३४५ ___ इस प्रकार कीर्तिशाली पुरुषों-सब चक्रवर्तियों के सम्बन्ध में कथन किया गया । अब मैं उन कीर्तिपुरुषों के विषय में कथन करूगा जो कि दशाहवंश में उत्पन्न होंगे ।११४७। नंदी य नन्दिमित्ते, सुन्दरबाहू य तह महाबाहू । अइबल महब्बले य, भद्दविण्हु विठ्ठति विठ्ठ य ।११४८। (नंदिश्च नन्दिमित्रः, सुन्दरबाहुश्च तथा महाबाहुः । अतिबलमहाबलश्च, भद्र-विष्णुद्विपृष्ठस्त्रिपृष्ठश्च ।) . नन्दी, नन्दिमित्र, सुन्दरबाहु, महाबाहु, अतिबल, महाबल, भद्र, द्विपृष्ठ और त्रिपृष्ठ-ये ६ वासुदेव अर्थात् त्रिखण्डाधिपति अर्द्ध. चक्री आगामी उत्सपिणी काल में जम्बूद्वीप के भरतक्षत्र में होंगे ।११४८। जयंत विजये भद्द, सुप्पभे सुदरिसणे य बोधव्वे । आणंदे नंदणे पउमे रामा संकरिसणे चेव ।११४९। (जयन्तः विजयः भद्रः सुप्रभः सुदर्शनश्च बौद्धव्याः । आनन्दः नन्दनः पद्मः, रामाः संकर्षणश्चैव ।)
जयन्त, विजय, भद्र, सुप्रभ, सुदर्शन, आनन्द,नन्दन, पद्म और संकर्षण -- ये ६ (उपरिचित वासुदेवों के ज्येष्ठ भ्राता) बलराम होंगे ।११४६। एतेसिं तु नवण्हं, पडिसच चेव तचिया जाणे । गरुय पडिवक्ख महणा तेसिं नामाणि मे सुणह ।११५०। (एतेषां तु नवानां, प्रतिशत्रवश्चैव तावन्तः जानीहि । गुरु प्रतिपक्ष महान्तः, तेषां नामानि मे शृणुत ।) . उन ६ वासुदेवों के उतने ही अर्थात् ६ प्रतिशत्रु (प्रतिवासुदेव) होंगे। वे भी महा पराक्रमशाली एवं महान् होंगे। मुझ से उनके नाम सुनिये :-११५०।। तिलए य जंघलोहे य, वइरजंधे य केसरी चेव । प.राए अपराजिय, भीम महाभीम सुग्गीवे ।११५१।