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araरिया घोसिज्जर, किमिच्छयं दिज्जए बहुविहीए । सुर असुर देव दाणव- नरिदंमहियाण निक्खमणे । १०५९ । ( वरवरिका घोष्यते किमिच्चिकं दीयते बहुविधिभिः । सुरासुर देवदानव नरेन्द्र महितानां निष्क्रमणे ।
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[ तित्थोगाली पइन्नय
" वर मांगो-वर मांगो, सुरों असुरों, देवों, दानत्रों और नरेन्द्रों द्वारा पूजित जिनेश्वरों के महाभिनिष्क्रमण के अवसर पर यथेप्सित अनेक प्रकार से (का) दान दिया जा रहा है - इस प्रकार की निरन्तर बार-बार घोषणाएं की जाती हैं ( जायेंगी) । १०५६ । एगा हिरण कोडी, अव अरगुणगा सयसहस्सा ।
सुरोदयमाईयं दिज्जइ जा पायरासाओ । १०६०।
( एका हिरण्य कोटी, अष्टौ चैव अन्यूनानि शतसहस्राणि । सूर्योदयादि दीयते यावत् प्रातराशात् 1)
जिनेश्वरों द्वारा प्रतिदिन सूर्योदय से ल ेकर प्रात कालीन भोजन वेला तक एक करोड़ ग्राठ लाख (१०८०००००) स्वर्णमुद्राओं का दान दिया जाता है । १०६०
तिण्णेव य कोडिसया, अट्ठासीयंत्ति होंति कोडीओ ।
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असि च सय सहस्सा, एयं संवच्छरे दिण्णं । १०६१ । ( त्रीण्येव कोटि शतानि, अष्टाशीति इति भवन्ति कोटयः । अशीतिश्च शतसहस्राणि, एतावत् संवत्सरे दत्तम् ।)
एक वर्ष तक प्रतिदिन तीर्थंकर भगवान् द्वारा जो दान दिया जाता है, उसमें कुल मिला कर ( वर्ष भर में) तीन अरब, अठ्यासी करोड़ और अस्सी लाख (३८८८००००००) स्वर्ण मुद्राओं का दान दिया जाता है । १०६१।
'वरवरिया -- वरवरिका = वरं याचध्वं वर यांचध्वमित्येवं घोषणा समय परिभाषया वरवरिकोच्यते ।
0 किमि च्यिं किमिच्छिकं कः किमिच्छति ? यो यदिच्छति तस्य तद्दानं समय परिभाषयेव किमिच्छिक मुख्यते ।
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