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[ तित्योगालो पइन्नय
प्रथमस्तु कुलकराणां, नाम्ना विमलवाहनस्तदा । जातिस्मरस्तु राजा, करिष्यति कुलराजधर्मान् तु ।)
उस समय का विमलवाहन नाम का प्रथम कुलकर जातिस्मर ज्ञान का धारक और राजा होगा। वह कुल धर्म और राज धर्म को संस्थापना करेगा ।१.१७। एवं सव्वे काहिंति, सुम्मनी* कुलगरो उ सत्तमतो । वेयड्ढगिरि समीवे, पुंडम्मि य जणवदे रम्मे ।१०१८।। (एवं सर्वे करिष्यन्ति, सुमतिः कुलकरस्तु सप्तमकः । वैतादयगिरेः समीपे, पुण्डू च जनपदे रम्ये :)
___इसी प्रकार विमल वाहन के पश्चाद्वर्ती कुलकर भी राज्य का संचालन करने के साथ-साथ कुलनीति का संचालन करेंगे। सुम्मती नामका सातवां कुलकर वैताढ्य गिरि के पास पुण्ड नामक सुरम्य जनपद में - ११०१८। नगरम्मि सयद्वारे, होही राया उ सुमती नामो । सब कलाणं निहि सो, सब पयाणं च पुट्ठिकरो।१०१९। (नगरे शतद्वारे, भविष्यति राजा तु सुमतिः नामा। सर्वकलानां निधिः स, सर्व प्रजानां च पुष्टिकरः।)
शतद्वार नामक नगर में सुम्मती ( सुमति ) नामक राजा होगा। वह सब कलाओं का भण्डार और सब प्रजाओं का भली भांति पोषण करने वाला होगा।१०१६। हय-गय-रह-जोहजुत्तो, हेला विविय दरिय पडिवक्खो । गरुय परक्कमपयडो, वेसमणसमाणविभवो य ।१०२०। (हय-गज-रथ-योध युक्तः, हेलाविद्रवितदरितप्रतिपक्षः । गुरुक पराक्रमप्रकटः, वैश्रवणममानविभवश्च :)
* स्थानाङ्ग तु भावी सप्तम कुलकरस्य नाम सुबन्धू इति समुल्लिखितमस्ति ।