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॥ अहम् ॥ श्रीविजय-नेमि-विज्ञान-कस्तूर-सुरिसद्गुरुभ्यो नमः । कलिकालसर्वज्ञश्रीहेमचन्द्राचार्यविरचितं
॥ श्रीमहादेवस्तोत्रम् ॥ पन्यासश्रीकीर्तिचन्द्रविजयगणिविरचितकीर्तिकलाहिन्दीभाषाऽनुवादसहितम् ।
श्रेयःप्राप्ति के लिये महादेवकी आराधना करनेकी शास्त्रोंमें आज्ञा है। महादेव ही शिव, महेश्वर आदि शब्दोंसे सम्बोधित किये जाते हैं। किन्तु उनके स्वरूपके विषयमें सम्प्रदायोंका भिन्न भिन्न मत है। इसलिये कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्यजीने महादेवके पारमार्थिक स्वरूपके परिचयकेलिये श्रीमहादेवस्तोत्रकी रचना की है। जिसमें शिव, महेश्वर, महादेव आदि शब्दोंकी व्याख्याके द्वारा श्रीमहादेवस्तोत्रका प्रारम्भ करते हैं
प्रशान्तं दर्शनं यस्य सर्वभूताऽभयप्रदम् । मङ्गल्यं च प्रशस्तं च शिवस्तेन विभाव्यते ॥१॥
पदार्थ-यस्य-जिस देवका, दर्शनम् देखाव, देखना, प्रशा न्तम् शान्त, शमभावनाका उद्बोधक, आत्मामें रहे हुए उपशमभावका