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________________ कलिङ्गाधिपति महामेघवाहन चक्रवर्ती महाराजा खारवेल के प्राचीन शिलालेख की " नकल 99 ( श्रीमान् पं. सुखलालजी द्वारा संशोधित ) 1 विशेष ज्ञातव्य - असल लेख में जिन मुख्य शब्दों के लिये पहले स्थान छोड़ दिया गया था, उन शब्दों को यहाँ बड़े टाइप में छपवाया है । विराम चिह्नों के लिये भी स्थान रिक्त हैं । वह खड़ी पाई से बतलाए गये हैं । गले हुए अक्षर कोष्ट बद्ध हैं । और उडे हुए अक्षरों की जगह बिन्दियों से भरी गई है। 1 [ प्राकृत का मूल पाठ ] ( पंक्ति १ ली ) - नमो अहंतानं []] नमो सवसिधानं [1] ऐरेन महाराजेन माहामेघवाहनेन चेतिराज वसबधनेन पसथसुभलखनेन चतुरंत लुठितगुनोपहितेन कलिंगाधिपतिना सिरि खारवेलेन १ संस्कृतच्छाया । १ नमोऽर्हृद्द्भ्यः [।] नमः सर्वसिद्धेभ्यः [i] ऐलेन महाराजेन महामेघवाहनेन बेदिराज वंशवर्धनेन प्रशस्त शुभलक्षणेन चतुरन्त - लुठितगुयोपहितेन कलिङ्गाधिपतिना श्री क्षारवेलेन १३
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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