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कलिङ्गाधिपति महामेघवाहन चक्रवर्ती महाराजा खारवेल के प्राचीन शिलालेख की
" नकल
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( श्रीमान् पं. सुखलालजी द्वारा संशोधित )
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विशेष ज्ञातव्य - असल लेख में जिन मुख्य शब्दों के लिये पहले स्थान छोड़ दिया गया था, उन शब्दों को यहाँ बड़े टाइप में छपवाया है । विराम चिह्नों के लिये भी स्थान रिक्त हैं । वह खड़ी पाई से बतलाए गये हैं । गले हुए अक्षर कोष्ट बद्ध हैं । और उडे हुए अक्षरों की जगह बिन्दियों से भरी गई है।
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[ प्राकृत का मूल पाठ ]
( पंक्ति १ ली ) - नमो अहंतानं []] नमो सवसिधानं [1] ऐरेन महाराजेन माहामेघवाहनेन चेतिराज वसबधनेन पसथसुभलखनेन चतुरंत लुठितगुनोपहितेन कलिंगाधिपतिना सिरि खारवेलेन १
संस्कृतच्छाया ।
१ नमोऽर्हृद्द्भ्यः [।] नमः सर्वसिद्धेभ्यः [i] ऐलेन महाराजेन महामेघवाहनेन बेदिराज वंशवर्धनेन प्रशस्त शुभलक्षणेन चतुरन्त - लुठितगुयोपहितेन कलिङ्गाधिपतिना श्री क्षारवेलेन
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