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जैन जाति महोदय
I Fapte
1928
देवीने अपनी बनाई मूर्तिका ऐसा अपमान देख प्रकोपीत हो, रोगादी उपद्रव चारू कर दीये, आराधनामे देवीको संतुष्ट कर आच में श्री कक्कमरिजीने देव के अनुरोध अनुसार शांति म्नात्र पूजा कराके उपद्रवको शाति करवाई।
Lashmi Art. Bombay,s.