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परिशष्ट नं. १ (ओसवाल ज्ञाति.)
मोसवाल ज्ञाति--यह उपकेश झातिका अपभ्रंश है उपकेश ज्ञातिकी उत्पत्ति का मूल स्थान उपकेशपुर है जबसे उपकेशपुर का अपभ्रंश नाम मोशिया हुआ और ओशियोंसे उपकेशज्ञाति के लोग अन्योन्य नगरोमें जाके निवास किया तबसे उस उपकेश ज्ञातिवालो को प्रोसवालोके नामसे पुकारने लग गये । उपकेशज्ञातिका समय विक्रम पूर्व ४०० वर्ष का है अर्थात् प्राचार्य रत्नप्रभसूरिने वीरात् ७० वर्षे उपकेशपुरमें इस ज्ञातिकी स्थापना करी थी इस विषयमें मैंने " श्रोसवाल ज्ञाति समय निर्णय " नामक प्रबन्ध लिख इसी पुस्तक के अन्दर दे दिया है उसे आद्योपान्त पढनेसे यह निःशंक हो जायगा कि ओसवालज्ञातिका समय विक्रम पूर्व ४०० वर्षका है और इस ज्ञाति की गौत्रजा सचायिका देवी है
"प्रोसवाल ज्ञातिका परिचय" (१) मोसवाल ज्ञाति-राजपुतोंसे बनी है जिस्मे पहिले तो अठारा कूलिन क्षत्रीय मुख्य थे बाद पँवार चौहान प्रतिहार सोलंकी राठोड शिशोदीया कच्छावे खीची वगैरह राजपुतों को प्रतिबोध दे जैन बनाकर पूर्व प्रोसवालो के सामिल कर दीये, इस विषय में अगर भाप किसी पोसवाल को पुछेगे कि आपका 'नख , क्या है ? तो उत्तरमें वह फोरन् कहेगा कि हमारा नख पँवार-चौहान या दुसरा जो जिनरोजपुत्तोंसे भोसवाल बने थे वह ही बतलावेगा