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________________ दूसरी शंका का समाधान. (४) उनका खानपानादि कीतनीक आचारसा सुधर गई पर हांसी मस्करी ठठा करना सामान्य रूपसे बैसाका तैसा बना रहा जिस्के फलरूप ओसवाल शातियों में एकेक कारण पाके उपनाम पड गये है जैसे (१) सांढ सीयाल नाहार काग बुंगला गरूड कुर्कट मिन्नी चील गदइया हंसा मच्छा बोकडीया हीरण वागमार बकरा लुंकड गजा घोडावत् धाडीवाल धोखा मुर्गीपाल वागचार इत्यादि पशुओं के नाम पर ओसवालों कि ज्ञातियोंके नाम पड गये पर यह वो कदा पि नहीं समझा जावे कि यह शातियों पशुओंसे पैदा हुई है यह फल केवल हांसी ठठाका ही है। . (२) हथुडिया, साचोरा जालौरी सिरोहीया रामसेणा नागोरी रामपुरिया फलोदिया मेडतिया मंडोवरा जीरावला गुदोचा नरवरा संडेरा रत्नपुरा रूणिवाल हरसोरा भोपाला कुचेरिया बोरू दिया भिन्नमाला चीतोडा भटनेरा संभरिया पाटाण खीबसरा चामड डेढिया चंडालिया पूंगलिया श्रीमाल इत्यादि शातियों निवास नगरके नामसे ओलखाई जाति है । (३) भंडारी कोठारी खजानची कामदार पोतदार चोधरी पटवारी सेठ मुहता कानुंगा शूरवा रणधीरा बोहरा दफतरी इत्यादि जातियों राजनओंके काम करनेसे क्रमशः उपनाम पड गये हैं। ___(४) घीया तेलिया केसरिया कपुरिया बजाज गुगलिया लुणिया पटवा नालेरिया सोनी चामड गान्धी जडिया बोहरा गुंदिया मणियार मीनारा सराफ झवरी पितलिया भंडोलिया धूपिया
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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