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________________ (१४) श्री जैन जाति महोदय प्र. चोथा. ओसवाल ज्ञाति के नाम से पुकारी जाति है उसका मूल नाम भोसवाल नहीं पर उएस-उकेश-उपकेशवंस था ईसका कारण पूर्व बतला दिया है कि उएस-उकेश और उपके शपुर में इस वंस कि स्थापना हुई बाद देश विदेश में जाने से नगर के नाम पर से ज्ञाति का नाम प्रसिद्धि में आया-जैसे अन्य जातियों का नाम भी नगर के नाम पर से पडा वह ज्ञातियों आज भी नगर के नाम से पहिचानी जाति है जैसेमहेश्वर नगरी से महेसरी-खंडवा से खंडेलवाल-मेडता से मेडतवाल मंडोर से मंडावग-कोरंट से कोरंटीया–पाली से पल्लिवाल-आग्रा से अगरवाल जालौर से जालौरी-नागोर से नागोरी-साचोर से साचोरा-चित्तोड से चितोडा-पाटण से पटणि इत्यादि ग्रामों पर से ज्ञातियों का नाम पड़ जाता है इसी माफिक उएस-उकेश उपकेशपुर से ज्ञाति का नाम भी उएस उकेश उपकेश ज्ञाति पड़ा है इससे यह सिद्ध होता है कि आज जिसको ओशीयों नगरी कहते है उसका मुल नाम श्रोशियों नहीं पर उएसपुर था. और आज जिसको प्रोसवाल कहते है उसका मुल नाम उएस उकेश और उकेशवंस ही था. जैसे उपकेशपुर से उपकेशवंस का घनीष्ट संबन्ध है वैसे ही उपकेशवंस व उपकेशपुर के साथ उपकेश गच्छका भी संबन्ध है कारण आचार्य रत्नप्रभसूरि उपकेशपुरमें राजपुतादि को प्रतिबोध दे महाजन वंस की स्थापना की उन संघ का नाम उपकेशवंश हुवा तब से प्राचार्य श्री का गच्छ उपकेश गच्छ के नाम से प्रसिद्धि में पाया बाद में भी बहुत से गच्छ प्रामों के नाम परसे उत्पन्न हुए थे जैसे नागपुरसे नागपुरिया गच्छ-नाणासे नाणावाल गच्छ-कोरंट से कोरंट गच्छ-संख
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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