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श्री रत्नप्रभाकर शान पुष्पमाला पुष्प नं. १०६.
श्री यक्षदेवरिपादपनेभ्यो नमः श्री जैन जाति महोदय.
प्रकरण चोथा.
श्री मोसवाल ज्ञाति समय निर्णय.
पोसवाल ज्ञाति की उत्पत्तिके विषय आज जनतामें भिन्न भिन्न मत फैले हुए दीख पडते है कितनेक लोग कहते है कि प्रोस. वालोकि उत्पत्तिं विक्रम सं. २२२ में हुई कितनेकोंका मत इस झातिकी उत्पत्ति विक्रम पूर्व ४०० वर्ष की है जब कितनेक लोगोंका अनुमान है कि विक्रमकी दशवि शताब्दीमें इस ज्ञातिकी स्थापना हुई। इत्यादि । समयकी भिन्नता होनेपरभी ओसवाल ज्ञातिके प्रतिबोधक आचार्य रत्नप्रभसूरि और स्थान ओशियों नमरीके विषयमें सबका एकही मत है___अत्यन्त खेदके साथ लिखना पडता है कि अव्वल तो इस जातिका श्रृंखलाबद्ध इतिहासही नहीं मिलता है अगर जो कुच्छ थोडा बहुत मिलताभी है परन्तु यह ज्ञाति विशेष व्यापारी लेनमें