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आचार्य की शुभ नामावलिः
भगवान् पार्श्वनाथके पाटानुपाट.
१ गणधर श्री शुभदत्ताचार्य. २ आचार्य हरिदत्तसूरि.
३ आचार्य आर्य्यसमुद्रसूरि.
४ आचार्य केशीभ्रमण.
५ आचार्य स्वयंप्रभसूरि. ६ आचार्य रत्नप्रभसूरि.
इन छ आचार्योका संक्षिप्त जीवन उपरोक्त प्रकरण में आ गया है शेष आचार्यो का जीवन आगेके प्रकरण में लिखा जावेंगे यहां पर तो केवल शुभ नामावली ही दिजाती है ।
७ श्री रत्नप्रभसुरि ८ श्री यक्षदेव सूरिः श्री क १० श्री देवगुप्त ११ श्री. सिद्ध
१२ श्री रत्नप्रभ
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१३ श्री यक्षदेव
१४ श्री कक्क
१५ श्री देवगुप्त
१६ श्री सिद्ध
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१७ श्री रत्नप्रभ सूरिः
१८ श्री यक्षदेव
१६ कक
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३७ कक्क सूरिः | ३९ ३८, देवगुप्त
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२०
२१
२२
२३
२४ कक
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२५, देवगुप्त २६, सिद्ध
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पैतीस वा पाट्टके बाद एक एसा कारण उपस्थित हुवा था कि भविष्य कालपर विचार कर श्री संघकी सम्मतिसे आागेके आचार्यो के लिये श्री रत्नप्रभसूरि और श्री
नाम रखना सर्वता मना कर दिया । वह इतिहास में लिखा जावेगा.
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" रत्नप्रभ
यक्षदेव
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देवगुप्त
सिद्ध
सिद्ध
४० कक
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२७ श्रीरत्नप्रभ सूरिः
२८
यक्षदेव
२६
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३२
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३६
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( ९५ )
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देवगुप्त
सिद्ध
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रत्नप्रभ
यक्ष देव
कक
देवगुप्त
सिद्ध
यक्षदेवसूरि एवं दो कारण उन समय के
४१ देवगुप्त ४२ सिद्ध
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