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जैन जाति महोदय
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वडी शीवताके साथ जाता हुआ विमान रूक गया. जंगम तीर्थ आचार्य श्री स्वयंप्रभमूरिजी को देवांगनाओं को उपदेश देते हा देख. विद्याधर रत्नचूड (भावी रत्नप्रभसरिजी) विमानसे
नीचे उतर करी हुइ आशातना की माफी मांगी। पृ३८)
Lakshmi Art. Borribay 8