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इतिहासकारों का मत.
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से ' अहिंसा परमोधर्मः ' का प्रचार करना प्रारंभ कीया, शान्ति रूपी एसा जल वरसाया कि दग्ध भूमिरूप जनता में एकदम नव जीवन के साथ शान्ति पसर गई । धार्मिक सामाजिक नैतिक त्रुटि हुई श्रृंखला फिर अपने स्थानपर पहुंच गई. आज के ऐतिहासिक विद्वानों का मत है कि भगवान् महावीर के झंडा निचे राजा महाराजा और चालीश क्रोड जनता शान्तिरस का अस्वादन कर रही थी केशी श्रमणादि पार्श्वनाथ संतानिये भी प्रायः सब भगवान महावीर के शासनको स्वीकार कर उनका आचार-व्यवहार, क्रिया- समाचारी में प्रवृत्ति करते हुवे अपना कल्यान करने लगे पर पार्श्वनाथ के संतानिये थे वह पार्श्वनाथ के नाम से ही विख्यात रहे और आज पर्यन्त भी पार्श्वनाथ भगवान् की संतान परम्परा से श्रविच्छन चली आ रही है । भगवान् महावीर का पवित्र जीवन के लिये पूर्वीय और पाश्चात्य विद्वान सब एक ही प्रवाज से स्वीकार करते है कि महावीर भगवान् 'एक जगत् उद्धारक ऐतिहासिक महापुरुष हो गये हैं । जगत् में हिंसा का झंडा भगवान् महावीरने ही फरकाया हैं । वेदान्तियों की यज्ञप्रवृति में पशुहिंसा को निर्मूल करी हो तो भगवान् महावीरने ही करी है जनता का कल्याण के लिये महावीर प्रभु का जीवन एक धेयरूप है इत्यादि
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महावीर भगवान् के जीवन विस्तार मुद्रित हो गया है बास्ते में मेरे उद्देशानुसार महावीर भगवान् का संबन्ध यहाँ ही समाप्तकर आगे जैनजाति के बारा में ही मेरा लेख प्रारंभ करता हूं.
भगवान् केशीश्रमणाचार्यने जैनधर्म्म को अच्छी तरक्की दी प्रतिमावस्थ में आप अपने पाट पर श्रीस्वयंप्रभ नाम के मुनि को