________________
(१८)
जैन जाति महोदय. उत्तर श्रेणिमें ६० नगर और विनमिने दक्षिण श्रेणिपर५० नगर वसाके राज करने लगे जो विद्याधरकहलाते है क्रमशः उनके वंशमे रावण कुंभकरण सुग्रीव पवन हनुमानादि हुवे है वह सब इन दोनोंकि संतान है।
___ सम्राट भरतने जब छै खण्डमे दिग्विजय करके आया तब भी चक्ररत्नने आयुधशालामे प्रवेश नहीं किया इसका विचार करनेसे ज्ञात हुवा कि बाहुबलने अभी तक हमारी (भरतकी) आज्ञा स्वीकार नहीं करी तब दूतको तक्षशिला भेजके बाहुबलीको कहलाया कि तुम हमारी आज्ञा मानो, इसपर बाहुबलीने अस्वीकार कीया तब दोनों भाईयोंमे युद्धकी तय्यारी हुई अन्य लोगोंका नाश न करते हुवे दोनो भाईयोंमे कइ प्रकारका युद्ध हुवा पर बाहुबली पराजय नहीं हुवा अन्तमें मुष्टियुद्ध हुवा बाहुबलीने भरतपर मुष्टिप्रहार करनेको हाथ उंचा कर तो लीया पर फीर विचार हुवा कि अहो संसार असार है एक राजके लिये वृद्ध बन्धुको मारनेको में तैयारहुवा हूं बस, उंचा किया हुआ हाथसे अपने बालोंका लोच कर आप दक्षिा धारण करली पर भगवान्के पास जानेमें यह रूकावट हुई कि____भरतने बाहुबलीके पहिले ९८ भाइयोंके पास दूत भेजा था तब ९८ भाइयोंने भगवान के पासमें जाके अर्ज करी कि हे दयाल ! आपका दीया हुवा राज हमसे भरतराजा छीन रहा है वास्ते आप भरतको बुला के समजा दो इसपर भगवानने उपदेश किया कि हे भद्र ! यह तो कृत्रिमराज है पर आओ मेरे पासमे तुमको अक्षयराज देता हुँ की जिसका कभी नाश ही नहीं हो सकेगा इसपर ९८ भाईयोंने भगवान्के पास दीक्षा ले ली-बस बाहुबलीने सोचा कि