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जैन जाति महोदय
Gdelali
भिक्षार्थ भ्रमण करते दीर्घ तपस्वी प्रभु ऋषमदेव वर्ष दिनकी तपस्या के बाद श्रेयाँस कुमार के द्वारपर आ पहुंचे कुमारने दिव्य ज्ञानसे भगवान को इक्षुरसका दान दिया; देवी देवताओंने दुंदुभीनाद से पुष्प सुवर्णादिकी वृष्टि की. Jukshmi Art, Bombay.8