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युगल मनुष्य.
(५)
उस सवारीवाला युगलको अपना न्यायाधीश बनाके उसका नाम
विमलवाहन " रखदिया कारण उसके बाहन सुफेद ( विमल ) था जब कोइ भी युगलमनुष्य अपनि मर्यादाका उल्लंघन करे तब बही · विमलबाहन' उसको दंड देनेको 'हकार' दंड नीति मुकरर करी तदानुसार कह देता कि हें ! तुमने यह कार्य कीया ? इतने पर वह युगल लज्जित विलज्जित हो जाता और ताम उमर तक फीरमें एसा अनुचित कार्य नहीं करता था । कितने काल तो इस्में निर्गमन हो गया । बाद विमल बाहन कुलकर कि चंद्रयशा भार्यासें चक्षुष्मान नामका पुत्र हुवा वह भी अपने पिताके माफीक न्यायाधीश ( कुलकर ) हुवा. उसनें भी 'हकार' नीतिका ही दंड रखा
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मान की चंद्राक्रान्ता भार्यासे यशस्वी नामका पुत्र हुवा वह भी अपने पिता स्थान कुलकर हुवा पर इसके समय कल्पवृक्ष बहुत कम हो गया जिस्मे भी फल देनेमें बहुत संकीर्णता होनेसें युगलमनुष्यों में ओर भी क्लेश बढ़ गया हकार' नीतिका उल्लंघन होने लगा तब यशस्वीने हकारको बढाके मकार' नीति बनाई अगर कोइ युगलमनुष्य अपनी मर्यादाका उल्लंघन करे उसे ' मकार' दंड अर्थात् मकरो' इससे युगल मनुष्य बडे ही लज्जितविलज्जित होकर वह काम फिर कदापि नहीं करते थे । यशस्वी कि रूपास्त्रिसें अभिचंद्र नामका पुत्र हुवा वह भी अपने पिताकी माफीक कुलकर हुआ उसके समय हकार मकार नीति दंड रहा अभिचंद्रके प्रतिरूपा नामकी भार्या से प्रसेन जीत नामका पुत्र पैदा हुवा वह भी अपने पिता के स्थान कुलकर हुआ इसके समय कालका ओर भी प्रभाव बढ गया कि इसकों
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