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________________ जैन राजा. ___(३१) (५५) कलिंगदशका राजाखारवेल जिसने उडीसाका पाहाडोभे जैन मुनियोंकों ठेरनेके लिये हस्ती गुफाओ कराई जिस गुफाओ के अन्दर एक वडा भारी शिलालेख खुदा हुवा है प्राचीन जैन शिलालेख भाग पहला देखो ! वीरात् ३६० वर्षका समय है। (५६) विजयापट्टन का राजा विजयसेन वीगत् ३५८ प्राचार्यकक्कपूरि प्रतिबोधिन् जिसने विजयापट्टन वसाई ( हालकी फलोधी ) ( ५७ ) संक्खपुरका राजा संखपाल जिसने सांखपुर नगरमें भगवान् ऋषभदेव कां बडा भारी मन्दिर बनवाया था. (५८.) वल्लभी नगरीका राजा शीलादित्य वीरान् ४३२ ( देवगुप्तसूरि ) .. (५६) उज्जैन नगरीका राजा विक्रमादित्य वीरात् ४६० आचार्य सिद्धसेन दीवाकर अवंति पार्श्वनाथ तिर्थ प्रगटकर्ता तथा कल्याण मन्दिर स्तोत्रका कर्ता के उपदेशसे. (६०) भरूच्छ नगरका बलमित्र राजा वीरात् ४५३ प्राचार्य काल कासूरी शुकनिक विहार उद्धारकर्ता. (६१) सोपारपट्टनका जयशत्रु राजा वि. सं. ११४ (आ. देवगुप्तसूरी) (६२) कोलापुर पाटनकाराना केपदि वि. सं. १२५ ( प्रा. कक्कसूरी ) (६३) कन्नाकुब्ज देशका चित्रगेंदराजा सं. ६०९ (भा. देवगुप्तसूरि । (६४) बनारसनगरीका हर्षदेवराजा सं. ६४० प्रा० मानतुंगसूरी भक्ताम्बरस्तोत्रके कर्ता ।
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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