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___ श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला पुष्प नं. १०३. श्री रत्नप्रभसूरीश्वर पादपद्मभ्यो नमः
अथ श्री.
जैन जाति महोदय.
. --* *-- पहला प्रकरण.
. ( जैन धर्म की प्राचीनता) जैन धर्म एक प्राचीन धर्म है. जैन धर्म एक पवित्र उच्च कोटिका धर्म है. जैन धर्म एक विश्वव्यापि धर्म है. जैन धर्म एक अनादि कालसे अविच्छनपने चलता हुवा सर्व धर्मों में श्रेष्ट धर्म है. जिन जिन महानुभावोंने जैन धर्म के स्याद्वाद रहस्यमय जैन. सिद्धान्तों का अवलोकन कीया है वह अपक्षपात दृष्टिसे अपना अभिप्रायापब्लिक के सन्मुख रख चुके है कि जैन धर्म एक प्राचीन स्वतंत्र धर्म है, जिसकी श्रादिका पत्ता खोज निकालना बुद्धि के बाहर है. जैनके कर्मफिलोसोफी और आत्मा तत्त्व, वैज्ञानीक ढंगपर उन महापुरुषोंने रचा है कि जो सर्वज्ञ अर्थात् सम्पूर्ण ज्ञानवाले केवली थे। यों कहा जाय कि दूसरे धर्मवालोंने जो कुच्छ शिक्षा पाई है वह जैन धर्मसेही पाइ है, अतः हम विगर संकोच यह कह सक्ते है कि जैन