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जैन जाति महोदय.
(२१) ७ भगवान् केसरियानाथजी ८ मुनि ज्ञानसुन्दरजी ६ आदि तीर्थंकर के वर्षीतप का पारणा प्रकरण दूसरा १२ १० माता मरुदेवी और भगवान् का समवसरण ११ महर्षि वाहुबलजी का ध्यान
अष्टापद पर चौवीस मन्दिर
पार्श्वकुमार और कमठ तापस १४ भगवान् महावीर और चण्डकौशिक सर्प १५ भगवान महावीर के कानों में खीले . १३ प्रार्य समुद्रसूरि और केशीकुमार प्र० तीसरा । १७. श्रीमाल नगरमें दो मुनि भिक्षार्थी १८ मा० स्वयंप्रभसूरि भौंर श्रीमालनगर १६ श्रा० स्वयंप्रभसूरि और पद्मावती नगरी २० प्रा० स्वयं० और रत्नचूड़ का विमान २१ प्रा० रत्नप्रभसूरि ५०० मुनियोसे उपकेशपुर २२ देवीका आग्रह और सूरिजी का चातुर्मास २३ मंत्रिपुत्र को पूर्णिया नाग का काटना २४ मंत्रिपुत्र की अर्थी और बाल साधु का रोकना , २५ अर्थी सहित मंत्रिपुत्र को सूरिनी के पास लाना , ५६ २६ प्राचार्यश्री के चरणप्रणालके जन्म से सजग होना , ६. २७ राजा और प्रजा को जैनी बनाया तब पुष्प वृष्टि हो रही है ३७