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________________ (४) अनुक्रमणिका. अम्बुजाक्ष सरकार एम० ए० वी० एल० पंडितश्री महावीर प्रसादजी.... .... इन्डियन रिव्यु के अक्टोवर के अंक में जैन जातिमहोदय प्रकरण दसरा. » - e e n . सृष्टिका अनादिपना और कालका परिवर्तन.... अवमर्पिणीकाल और पहला पारा , , दूसरा पारा , ,, तीसरा पारा कुलगर और दंडनीति .... भगवान ऋषभदेवका जन्म, ... भगवान ऋषभदेवका राज्याभिषेक नीतिधर्म-पुरुषोंकी ७२ कला स्त्रियोंकी ६४ कला वर्षादान और भगवानकी दीक्षा... वर्षांतपका पारणा और श्रेयांसकुमार .... तक्षशिला तीर्थकी स्थापनाका कारण भगवान ऋषभदेवको कैवल्यज्ञान.... भरत महाराजको एकसाथ तीन बधाइऐ.... माता मरुदेवीका विलाप और कैवल्यज्ञान..... चतुर्विध संघकी स्थापना और द्वादशांगकी रचना अष्टापदपर २४ तीर्थंकरों के २४ मन्दिर ....
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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