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लेखक का परिचय.
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श्री मारवाड़ तीर्थ प्रबंधकारिणी कमेटी " स्थापित हुई । जिसकी देखरेख में मारवाड के ७८ मन्दिरों का निरीक्षण हुआ तथा तसम्बन्धी रिपोर्ट आदि भी तैयार हुई । किन्तु कार्य कर्त्ताओं के अभाव से कार्य रुक गया अन्यथा आज मारवाड़ के तीथों की areनीय दशा कदापि दृष्टिगोचर नहीं होती ।
इस वर्ष आपने अठ्ठम ३ छठ्ठ ७ तथा फुटकल तपस्या भी की थी । इस चातुर्मासका वर्णन करता हुआ महात्मा लालचन्दने एक कविता बनाइ थी वह —
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बन्दो ज्ञानसुन्दर महाराज । समौसरण रचाने वाले । टेर । नगर नगीना भारी । हैं शहर बड़ा गुलजारी । जैन मन्दिरोंकी छबी न्यारी । भवोदधि पार लगानेवाले । वं. । १ । गुरु ज्ञानसुन्दर उपकारी | कई तार दिये नर नारी । शुभ भाग्य दशा हमारी । धर्मकी नाव तिरानेवाले माल इक्यासी हैं खासा । हुआ नगीने शहर चौमासा | सफल हुई संघ की आशा । धर्मका झंडा फहरानेवाले । वं. । ३ । सूत्र भगवतीजी फरमावे । श्रोता सुरण के आनन्द पावे |
। बं. । २ ।
ये तो जन्म सफल बनावे | अमृत रस वरसानेवाले । वं । ४ । पूजा प्रभावना हुई भारी । तप तपस्या की बलिहारी | स्वामिवात्सल्य है सुखकारी । धर्मोन्नति करानेवाले । वं. । ५ । . मन्दिर चौसटजी का भारी । बनी है समवसरण की तय्यांग । rict कांच भूमर है न्यारी । स्वर्ग से वाद वदाने वाले । वं. | ६ |
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