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________________ ܘܘܘܕ ( ३८ ) १००० शीघ्रबोध भाग नवमाँ । दसवाँ । 99 १००० प्रतिमा छत्तीसी पाँचवी बार ( ज्ञान विलास में ) । १००० दान छत्तीसी । तीसरी वार । १००० जैन नियमावली १००० अनुकम्पा छत्तीसी १००० प्रश्नमाला १००० स्तवन संग्रह प्रथम भाग तीसरी वार । जैन जाति महोदय. "; ܕܪ "" १००० स्ववन संग्रह तीसरा भाग तीसरी वार | १००० देवगुरु बन्दन माला 1 १००० लिङ्ग निर्णय बहत्तरी,, । " । १००० सुबोध नियमावली,, । । १००० प्रभु पूजा "" १००० चौरासी अशातना, १००० चैत्यवंदनादि १०६० सझाय संग्रह 1. " 19 १००० दूसरा भाग १००० उपकेशगच्छ लघु शब्दावली । १००० सुबोध नियम १००० जैन दीक्षा तीसरी वार । १००० व्याख्या विलास III १००० अमे साधु शा माटे थया ? १००० १००० राई देवसी प्रतिक्रमण १००० कक्का बत्तीसी । १००० १००० व्याख्या विलास II IV III 99 " " १००० बिनती शतक | " २८००० कुल प्रतिऐं । अठ्ठाई महोत्सव, बरघोडा, स्वामीवात्सल्य, पूजा, प्रभावना इत्यादि धर्मकृत्य बड़े समारोह से हुए | आपके उपदेश से जेसल - मेरका संघ १००० यात्रियों सहित निकला था । इस संघ का कार्य आपकी व्यवस्था से निर्विघ्नतया सम्पादन हुआ था। आपकी यह बढ़ती धर्मद्रोहियों से नहीं देखी गई। उन्होंने कुछ अनुचित
SR No.002448
Book TitleJain Jati mahoday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherChandraprabh Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1995
Total Pages1026
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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