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लेखक का परिचय.
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भाबू, सिरोही, शिवगंज, सांडेराव, गुन्दोज, पाली, जोधपुर, तिवरी होते हुए मोशियाँ पधारे वहाँ का वातावरण देख आपको बहुत खेद हुआ। फिर-आपके परिश्रम व उपदेश से सब व्यवस्था ठीक हो गई । छात्रालय के मकान का दुःख भी दूर हो गया।
आपके पास वाली हस्तलिखित पुस्तकें तथा यतिवर्य लाभसुन्दरजी के देहान्त होनेपर उनकी पुस्तकें तथा अन्य छापे की पुस्तकों को सुरक्षित रखने के पवित्र उद्देश से मोशियों तीर्थपर
आपने श्री रत्नप्रभाकर ज्ञान भण्डार की स्थापना की तथा स्थानीय उपद्रव को प्राचीन समय में दूर करानेवाले आचार्य श्री ककसूरिजी महाराज के स्मरणार्य वहाँ श्रीकककांति लाइब्रेरी स्थापित की । दो मास तक आपने बोर्डिग की ठीक सेवा बजाई पर आपश्री की अधिकता यह है कि इतने कार्य करते हुए भी किसी स्थानपर ममत्व के तंते में न फस कर बिलकुल निर्लेप ही रहते हैं बाद फलोधी संघ के आग्रह से आप लोहावट होते हुए फलोधी पधारे। • विक्रम संवत् १९७७ का चातुर्मास ( फलोधी )।
आपश्री का चौदहवाँ चातुर्मास फलोधी नगर में हुशा । व्याख्यान में आपश्री भगवतीजी सूत्र बड़ी मनोहर वाणी से सु. नाते थे । श्रोताओं का मन उल्लास से तरंगित हो उठता था । उनका जी व्याख्यानशाला छोड़ने को नहीं चाहता था । पुस्तकजी का जुलूस बढ़े विराट् आयोजन से निकला था जिसकी शोभा देखते ही बनती थी । जिन्होंने इस वरघोड़े के दर्शन कर अपने नेत्र तृप्त किये वे वास्तव में बड़े भाग्यशाली थे।