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आदर्श-ज्ञान
महाराजा उत्पलदेव जैसे उपकेशपुर के शासन कर्ता राजा थे, वैसे ही आपकी संतान भी कई पुश्त तक उपकेशपुर तथा अन्य स्थानों पर राज्य करती रही, और उन्होंने धर्म के लिये भी ऐसे सुन्दर एवं चोखे और अनोखे कार्य किये जिनसे कि उनका अमर यश और धवलकीर्ति आज भी इतिहास के पृष्ठों पर गर्जना कर रही है।
आचार्य देवोंने अपनी शुद्धि की मशीन से उन आचार पतित क्षत्रियादिकों कों वासक्षेप के विधि विधान से शुद्ध बना कर 'महाजनवंश' की यहां तक वृद्धि की कि शुरू में जो लाखों की संख्या थी वह करोड़ों तक पहुँच गई और वे लोग इस प्रकार के प्रतापी हुए थे कि उनके नाम और कार्य से उस महाजन संघ के कई गौत्र बन गये जिसमें अठारह गौत्र मुख्य थे। ____उन अठारह गौत्रों में सर्व श्रेष्ठ राजा उत्पलदेव की सन्तान थी, जिनका गौत्र श्रेष्ठिगौत्र कहलाया। इल गौत्र में इतने दानी, मानी, उदार और वीर पुरुष हुए थे कि जिनका इतिहास लिखा जाय तो एक महाभारत सा ग्रंथ बन जाय । जैसे वे लोग राजनीति और समाज के कार्यों में नाम कमाया करते थे, इसी प्रकार धार्मिक कार्य में भी वे लोग अग्रभाग लेते थे। नये मन्दिर बनाना, प्रतिष्ठा करवानी, संघ निकाल कर तीर्थ यात्रा करनी, और साधर्मी भाइयों को सहायता पहुँचा कर वात्सल्यता करना तो उनको साधारण क्रिया ही बन गई थी। इतना ही क्यों पर इस गौत्र के आत्म वीरों ने लाखों करोड़ों की सम्पत्ति छोड़ कर स्वपर कल्याणार्थ दीक्षा भी ली थी, जिसमें कई महापुरुषों ने तो आवार्य पद प्राप्त कर गच्छ का भार उठा कर गच्छ एवं