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________________ ८३-सत्याग्रह में जैनसाधुओं का व्याख्यान जिस समय सत्याग्रह आंदोलन खूब जोरों से चल रहा था, उस समय हमारे चरित्र नायकजी सूरत में विराजमान थे । कांग्रेस के नेता दयालजीभाई योगीराज के पास भाये और कहा कि जैन साधु तो जगत उपकारी होते हैं, अतः आपको भी देश सेवा में भाग लेना चाहिये । योगीराज ने कहा, इसमें कहने की क्या बात है ? हम तो इसलिये ही साधु हुए हैं, इत्यादि। . एक दिन कांग्रेस वालों ने एक बड़ा भारी सरघस निकाला जिसमें कम से कम ५०००० आदमी होंगे; दयालजीभाई आदि कई देशभक्त योगीराजादि मुनिवरों को बुलाने के लिए आये, और कहा कि आप भी पधार कर सभा में भाषण दिलावें । उस समय मुनितिलकविजयजी पंजाबी भी वहां उपस्थित थे, उसने कहा कि योगीराज ! क्या हर्जा है, सभा में चलिये मैं भी चलूँगा। यह हाल जब श्रावकों को मालूम हुआ तो उन्होंने आकर मुनियों को रोक दिया और कहा कि राज-सम्बन्धी मामलों में आपको भाग नहीं लेना चाहिये। योगी०-क्यों, इसमें क्या नुकसान है ? श्रावक-यह राज संबन्धी मामला है,शायद पकड़ा-पकड़ी होगा तो ? योगी-यदि सत्य कहते हुए भी पकड़े जावेंगे तो जैसे हम लोग तुम्हारी कैद में पड़े हैं वैसे राज्य की कैद में पड़े रहेंगे। इस प्रकार वादविवाद करने के पश्चात् मुनियों ने आखिर
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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