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अहमदाबाद साधु०
यद्यपि अहमदाबाद के कई उपाश्रय एवं धर्मशाला में व्याख्यान बचता ही था किंतु वे वाड़ाबन्धी के थे, आपका व्याख्यान सब के लिये समान होने से परिषदा का इतना जमघट रहता था कि आखिर श्राप ठहरे उस स्थान को जगह के अभाव से छोड़ कर अन्य स्थान में व्याख्यान देना पड़ा; आपके व्याख्यान में अधिक तर द्रव्यानुयोग का विषय ही रहता था; भावना अधिकार में आप कथानीक संबंध भी इस प्रकार कहा करते थे कि दिन कितना ही क्यों न आ जावे किंतु उठने की इच्छा ही नहीं होती थी ।
आप को साधुओं से मिलने का तो इतना प्रेम था कि जहां साधु के लिए सुना, कि भंडारीजी को ले कर वहां चले ही जाते, और शास्त्रीय बातों की चर्चा करने में बड़ा ही रस आता था ।
(१) विद्याशाला में वयवृद्ध श्री सिद्धिविजयजी मेघविजयजी । ( २ ) ड़ेलों के उपाश्रय-पन्यास धर्मविजयजी महाराज आदि । ( ३ ) लवार की पोल मुंशी सिद्धिविजयजी महाराज आदि । (४) उजमबाई की धर्मशाला में मुनिललितविजयजी आदि । ( ५ ) लालभाई के वाड़ा में मुनिश्री कर्पूरविजयजी महाराज । (६.) बली के उपाश्रय में श्री बुद्धिसागरसूरिजी के साधु | ( ७ ) पांजरापोल के उपाश्रय में आचार्य नेमिसूरिजी के साधु । ( ८ ) भट्टी के उपाश्रय में पं० गुलाबविजयजी । (९) उजमबाईकी धर्मशाला में श्री केसरविजयजी आदि । (१०) सामड़ो की पोल में मुनि पूनमचन्दजी सागरचंदजी | ( ११ ) खरतरों की खिड़की में मुनिरत्नसागरजी । ( १२ ) देवासा के पहाड़ में मुक्तिविमलजी वगैरहः । (१३) शाहपुर के उपाश्रय में मुनि कनकविजयजी आदि ।