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________________ आदर्श - ज्ञान-द्वितीय खण्ड ४५६ भंडारी० - -काकर परिषदा में कह दिया कि स्वामि फूलचंदजी नहीं आवेंगे। इस हालत में मुनिश्री ने उपस्थित जनता के सामने, रात्रि में पानी रखने के लिए निशीस्थ सूत्र उदेशा ४ का मूलपाठ बतलाया कि जैन सूत्रों में स्पष्ट लिखा है कि यदि टट्टी पेशाब करके कोई भी साधु साध्वी शौच नहीं करेगा तो वह दंड का भागी होगा, अतः इस सूत्र से रात्रि समय पानी में चूना डाल कर पानी रखना सिद्ध होता है । कारण रात्रि में टट्टी नहीं तो पैशाब का तो काम पड़ता ही है, और पैशाब कर सूची करना शास्त्रकार फरमाते हैं । दूसरे ज्ञाता सूत्र, एवं अंतगढ़ादि सूत्रों में शत्रुञ्जय पर अनेक मुनियों की मोक्ष हुई है, यह ३२ सूत्रों के मूल पाठ में है अतः तीर्थंकरों के कल्याणक भूमि जेसे पवित्र स्थान को तीर्थ कहना न्यायसंगत एवम युक्तियुक्त है। तीसरे जैनशास्त्रों में अनेक श्रावक श्राविकाओं ने प्रभु प्रतिमा की पूजा की है, जिसके लिए उपासक दशांगसूत्र, उत्पतिक, राजप्रश्नी, भगवती, ज्ञाता आदि बहुत से सूत्रों के मूल पाठ में उल्लेख है, इसलिए मैं सूत्र लेकर आया हूँ किंतु दुःख है कि स्वामी फूलचंदजी सभा में हाजिर नहीं हुए, अतः लीजिये सूत्रों का पाठ आपको बताया जाता है । इनके अतिरिक्त भी जैन धर्म का सच्चा स्वरूप जैन श्रावकों की उदारता, उनके कराये हुए प्राचीन मन्दिर, तीर्थ यात्रार्थ निकाले हुए संघ वगैरह का वर्णन करते हुए कहा कि जबसे जैन शासन में मूर्ति उत्थापक लौंका और दूँ दिया पैदा हुए उस दिन से ही जैनों के दिन फिर गए, तद्यपि इतना अच्छा हुआ कि जैनाचार्यों ने इनके प्रचार को शीघ्र ही रोक दिया,
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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