________________
३९१
गणे० और प्यारचंदजी
किया । स्वामीजी ने नाम ग्राम पूछा और कहा कि क्या आप गयचरचंदजी के संसार पक्ष के भाई हैं ?
गणेश० - जी हां।
प्यार ० - यह बाई कौन हैं ?
गणेश० - हमारे भोजाई जी हैं।
प्यार० - गवरचंदजी की संसार की धर्म पत्नी हैं ? गणेश जी हां ।
-
प्यार०—गयवरचंदजी अच्छे बुद्धिमान हैं, हमारे पास भी कई बार रहे हुए हैं; पर कर्मों की गति विचित्र होती है, उनकी श्रद्धा बदल गई ।
31
गणेश – 'गयवरविलास' पुस्तक सामने रखकर कहा, महा राज साहब इस पुस्तक में सूत्रों का पाठ दिया है, वह ठीक है या ग़लत है ?
●
प्यार - यह पुस्तक पहिले से हमारे पास आई हुई है, सूत्रों से मिलाई तो सूत्रों के पाठ तो बराबर ही हैं किन्तु अर्थ में फेरफार कर दिया है।
गणेश० --- अर्थ में रद्दोबदल है तो श्राप निशान कर दें कि मैं वरचन्दजी महाराज से पूछ कर दरियाफ्त कर लूँगा । प्यार - नहीं भाई हम तो इस झगड़े में नहीं पड़ते हैं । गणेश० - इसमें झगड़ा किस बात का है, सच्ची बात कहने में क्या डर है ?
प्यार० - हमको तो पूज्यजी महाराज की मनाई है कि गयवरचंदजी से किसी प्रकार की चर्चा नहीं करना । अतः हम इस विषय में कुछ भी नहीं कह सकते हैं ।