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आदर्श-ज्ञान द्वितीय खण्ड
आप कालु थे, आज यहां कैसे आ गये ? योगीराज वहां से रवाना हो मथुराजी पहुँच गये और वहाँ बिल्कुल दिगम्बर हो बोगप्रभ्यास करने लगे। वहाँ एक यति आय था, योगिराज तो ध्यान भूमि पर गये और यति सब भंडोपकरण लेकर नौ दो ग्यारह हो गया। योगिराज ने आकर देखा तो भंडोपकरण नहीं पाया, आपने दिगम्बर अवस्था में ही रहने का विचार कर लिया, किन्तु रात्रि में अकरात आवाज हुई कि इस काल में इस अवस्थो का उदय नहीं है । तुम अपना वेष पहिन लो।
योगीराज ने एक पत्र मुनिजी पर लिखकर श्रोसियाँ भेजा जिसमें कि सब समाचार लिख दिये । इस पर मुनिजी ने मुनिम चुन्नीलाल भाई को साधु के सब उपकरण देकर मथुरा भेजा मुनीमजी ने वहाँ जाकर पू. योगीगज के दर्शन कर भंडोपकरण सेवा में हाजिर किए। ___ योगीराज वहाँ से विहार कर चातुर्माप के लिए लश्कर पधार गये ओर मुनीमजी ने वापिस भोसियाँ आकर मुनिश्री से सब हाल निवेदन किया।
योगराज इतने ध्यानी और चमत्कारी थे कि वे अपना कोई भी बार्य प्रसिद्धि में लाना नहीं चाहते थे। एक बार आप सादड़ी विराजते थे वहाँ के तेजमल भंडारी के शरीर में कोई देव का इतना उपद्रव था कि सैकड़ों उपाय करने पर भी वे उस उपद्रव से मुक्त नहीं हुए, जब ये योगीराज के पास आये तो न मालुम आपने क्या किया वासक्षेप डाल कर कह दिया कि प्रत्येक पूर्णिमा को आंबिल किया करो बस उस दिन से ही वह उपद्रव शान्ति हो गई।