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________________ २९७ सादडी का मतभेद के स्थानकवासियों ने लिखत में दस्तखत कर दिये कि हम गोडवाड़ के मूर्तिपूजक समाज के साथ हैं। सादड़ी के स्थानकवासियों के साथ रोटी-बेटी व्यवहार नहीं करेंगे । फिर भी सादड़ी के स्थानकवासी चुप नहीं रहे, उन्होंने कांठा में जाकर एक मूर्तिपूजक की लड़की के साथ सगपण कर सादड़ी श्राये और खूब गौरव के साथ कहा, लो गोड़वाड़ वालों ने हमारा व्यवहार बन्द किया तो क्या हुआ, हम कांटा के मूर्तिपूजक को लड़की को लाकर मुहपर मुहपत्ती बांधकर बाजार से निकालेंगे इस पर सादड़ों के मूर्तिपूजकों को और भी गुस्सा आया । अतएव ३२ आदमियों ने कांटा में पहुँच कर वहां के ३२ ग्रामों को एकत्र कर घोषित कर दिया कि अगर आप सादड़ी के स्थानकवासियों के साथ बेटी व्यवहार करेंगे तो गोड़वाड़ तुम्हारे साथ व्यवहार बन्द कर देगा । परिणामस्वरूप कांटा के ३२ ग्राम वालों ने उस किये हुए सम्बन्ध का विच्छेद कर दिया और सादड़ी के स्थानक वासियों के साथ व्यवहार बन्द करने का लिखत कर लिया । अतः गोड़वाड़ का झगड़ा श्रभी तक ज्यों का त्यों बना हुआ है । RRZR
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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