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মানুহ-মাল
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अरे वेवकूफ लोंगो तुमने यहां क्या तमाशा एवं मोडी का मठ देख लिया है, चले जाओ यहां से ।
बस, फटकार खा कर सब लोग चले गये उसी दिन ४ भावक मिल कर पूज्यजी महाराज के पास गये, और सब हाल कह सुनाया। पूज्यजी महाराज ने कहा कि गयवरचंदजी मेरे पास आवें तो भेज देना, नहीं तो उनके पास जो दो साधु हैं, उनको कह देना कि तुम बिहार कर पूज्यजी के पास चले जाओ। ____ उधर चतुर्मास खत्म होते ही पूज्यजी महाराज ने शोभालाल जी को अपने पास बुला कर उन्हें अपना लिया; क्योंकि आप को शक था कि कहीं शोभालालजी गयवरचंदजी के साथ न मिल जावें। ____ सादड़ी से दो साधुओं के चले जाने के बाद हमारे चरित्र नायकजी वहां अकेले रह गये । कई मूर्ति की श्रद्धा रखने वाले आपके पक्ष में भी रहे, पर कई श्रावकों से सम्बन्ध टूट भी गया । मूर्ति पूजक श्रावक नानूलालजी नागौरी ने कहा कि यदि आप यहां पर संवेगी बनें तो मैं आपके लिए दो हजार रुपये खर्च कर बड़ा भारी महोत्सव कर सकता हूँ। किन्तु आप ने अकेले ऐसा करना उचित नहीं समझा और वहां से बिहार कर कर्मचन्दजी महाराज के पास गंगापुर चले गये; क्योंकि मूर्ति की श्रद्धा वाले आप चारों साधुओं में वे नायक थे।