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________________ आदर्श-ज्ञान २०४ निडरतापूर्वक साफ और स्पष्ट कहते हैं। किन्तु ऐसा विद्वान् साधु, समुदाय से चला न जावे, इसके लिए पूरा प्रयत्न करना आवश्यक है। __सेठजी--महाराज, इस वर्ष पूज्यजी महाराज का चतुर्मास हम रतलाम में करवाना चाहते हैं। यदि आप पूज्यजी महाराज की सेवा में रतलाम ही बिराजें, तो आपको बहुत लाभ होग। मुनिजी-यदि आप पूज्यजी महाराज से इस बात की कोशिश करेंगे, तो मैं आपका बड़ा अहसान मानूंगा, क्योंकि मैंने कई बार पूज्यजी महाराज की सेवा में रहने की कोशिश की, पर जब कभी ऐसा मौका मिलता है तो एन वक्त पर पूज्यनी महाराज हमको अन्य स्थान पर भेज देते हैं। इस वर्ष तो मेरा पक्का इरादा पूज्यजी महाराज के समीप ही चतुर्मास करने का है। यदि रतलाम चतुर्मास हो जावे, तब तो सोना और सुगन्ध वाली कहावत चरितार्थ हो जाय, क्योंकि यहां आप जैसे विद्वानों का संयोग भी है।
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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