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________________ १९९ प्रश्न व्याकरण सूत्र की चर्चा मुनिजी - सेठ साहब ! क्या आपने प्रश्न व्याकरणसूत्र पढ़ा व सुना है ? सेठजी - हाँ महाराज ! मैंने कई वार प्रश्नव्याकरणसूत्र सुना है । मुनिनी - उसमें क्या लिखा है ? सेठजी - घर-हाट, चूल्हा-चक्की और मन्दिर-मूर्ति आदि कार्यों में पृथ्व्यादि जीवों को हिंसा करने वाला मंदबुद्धि और दक्षिण की नरक में जाना लिखा है । मुनिजी - हिंसा करने वाले कौन और किस परिणामों से वे हिंसा करते हैं, इसका भी आपने निर्णय किया है ? सेठजी - हिंसा करने वाले कोई भी क्यों न हों, पर हिंसा करने वाले तो मंद बुद्धि और नरक गामी ही होते हैं । मुनिजी - क्यों सेठ साहब, आप भी तो घर-हाट, चूल्हाaat करवाते हो और भी पापारंभ के कार्य करते हो फिर आप तो मंदबुद्धि और नरकगामी नहीं बन गये होगे ? सेठजी - इसमें क्या, हम पापारंभ करते हैं तो मंदबुद्धि और नरकगामी होते ही हैं ! मुनिजी - जब आप जैसे सामायिक पौसह और नवकार मंत्र का जाप करने वाले भी मंदबुद्धि बन दक्षिण की नरक में पधारने की तैयारी करली है, तब बेचारे क्रूर कर्म के करनेवाले साई कहाँ जायेंगे ? कारण नरक में घोर दुःख का स्थान जो दक्षिण का नरक है, वह तो आप लोग जाकर दबा लोगे, फिर उन विचारे कसाइयों के लिये भी थोड़ी बहुत जगह होनी चाहिये । सेठ साहब, बड़ा ही अफसोस है कि आपने इक मूर्ति के न
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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