SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 8 ४२६ ४२७ ४२८ ४३२ ४३६ - ११ - विषय कवला-गच्छ अर्वाचीन है ? रात्रि में वार्तालाप रत्नप्रभसूरि का बड़ा उपकार है सूरिजी का एक धावा सूरिजी का जादू रूपसुन्दर की विदा. वचन भूल कर दीक्षा मथाणीये दो श्रावकों का आना बदला में समाचार सूरिजी का पश्चाताप ६६-दूसरा चतुर्मास जोधपुर में फलोदी के वर्तमान ... नेत्रों की तकलीफ और डाक्टर नास्तिक सेठ और साध्वी ६७-खरतरों के पर्युषणों का व्याख्यान भंडारियों की हवेली वाले ६८-व्याख्यान में प्रश्न और उनका उत्तर भंडारीजी और ढूंढिया तपस्वी साधु भंडागजी और फूलचन्दजी ६९-शास्त्रार्थ में दूढ़ियों का पराजय ७०-स्वामि-वात्सल्य में मतभेद क्यों साची की चालाकी चैत्य परिपाटी का नया जलूस ४३६ ४३७ ४३७ ४३८ ४४० ४४१ ४४२ ४४४ ४४७ ४४८ ४५० ४५३ ४५८ ४६० ४६४
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy