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चार साधुओं को ताकीद से जयपुर भेजे बिल्कुल कच्चा पानी का पात्र भर कर ले आया। बाद में दूसरे साधु भी उस कुम्हार के यहाँ जा निकले । कुम्हारिन बड़ बड़ाहट करती हुई पहिले साधु को गाली दे रही थी कि राखऊडियो साधु महारो सब पानो लेगयो “अब मैं महारो काम कयां करूँगी"। दूसरे गये हुए साधुओं ने शान्त चित्त से कुम्हारी को पछा तो निश्चय हुआ कि पहिला साधु जो पानी लेगया, वह बिल्कुल कच्चा था। मकान पर जाकर देखा तो वे दोनों पात्र कच्च पानी से भरे पड़े थे। इस घटना को देख हमारे चरित्रनायकजी का दिल किस्तूरचंदजी के साथ रहने से हटगया. क्योंकि जिस दीक्षा के लिए घर छोड़ा, फिर उसके लिए ऐसा भद्दा बर्ताव क्यों? इसकी बजाय तो संसार में रहना ही अच्छा है । आप किस्तूरचंदजी का साथ छोड़ कर अकेले ही टोंक माधौपुर होतेहुए कोटा पहुंच गए। __मधौपुर और कोटा के बीच में एक दुर्घटना हो गई आप अकेले विहार कर जंगल में जा रहे थे; रास्ते में कई भील मिल गये और उन्होंने वस्त्र एवं पुस्तकें छीन लेने का इरादा किया। आपने सब वस्त्र-पात्र, पुस्तकें एक स्थान पर रख एक कार निकाल कुछ मिट्टी लेकर मुँह के पास रख, नवकार मंत्र पढ़कर उस उपधि पर डालदी और कहा कि जिसकी हिम्मत हो वह इसको उठाले । भील बिचारे डर गये उन्होंने नमस्कार करके माफी मांगी। मुनिश्रीने उनको उपदेश देकर ऐसे दुष्कृत्य करने का त्याग करवाया बाद वे अपने रास्ते चले गये और मुनि श्री निर्धारित प्राम की
ओर चल दिए। क्रमशः आप कोटे पधारे । ___कोटा में आप १५ दिन तक ठहरे और हमेशा व्याख्यान भी देते रहे । वहाँ के लोगों ने चर्तुमास के लिए बहुत आग्रह पूर्वक