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________________ मेझरनामा लिखने के कारण आपको बहुत कुछ सहन करना पड़ा पर इसके प्रचार से समाज एवं नवयुवकों में जागृति भी कम नहीं हुई थी। उस मेझरनाभ की ऊपरा ऊपरी पांच आवृतियां मुद्रित हुई और जनता ने उसे खूब अपनाया। जो लोग मेझरनामा लिखने के कारण नाराज थे वही लोग आपकी भूरि २ प्रशंसा करने लग गये ।। कहने की आवश्यकता नहीं है कि आप कितने पुरुषार्थी एवं श्रमजीवी है आप श्री ने अपने परोपकारी जीवन में कैसे कैसे चोखे और अनोखे काम कर बतलाये कि जिसकी सानी का कोई साधु नजर नहीं आते हैं। आज जनता में केवल बातें एवं आडम्बर की ही कदर नहीं पर काम की कदर है। आपने अपने साधुव्रत के नियम पालते हुये शासन की बढ़िया स बढ़िया सेवा बजाई वह इस पुस्तक के पढ़ने से आपको ठीक रोशन हो जायगी। आपन जहां जहां विहार किये और जो जो लोग आपके परिचय में आये वे आपके अलौकिक गुणों पर मन्त्रमुग्ध बन कर आपके परम भक्त बन गये हैं पर भंडारीजीचन्दनचन्दजी जोधपुरवाले तथा वदनमलजी वैद्यमेहता फलौदीवाले अधिक समय आपकों सेवा में रहकर आत्मकल्याण साधन किया करते थे । ___ इन दोनों मक्तों का विचार था कि भविष्य की जनता का कल्याण के लिये आपश्री का जीवन लिखा जाय पर जितनी साधन सामग्री चाहिये उतनी नहीं मिली फिर भी उनका प्रयत्न सर्वथा निष्फल भी नहीं हुआ उन्होंने कई वर्षों तक निरन्तर परिश्रम कर कुछ सामग्री एकत्र करके एक खरड़ा बनाया परन्तु कुदरत आपके सानुकूल नहीं थी कि आप दोनों मकों ने एक ही वर्ष में केवल छः मास के अन्तर से इस फानी दुनिया से विदी ले ली। फिर भी वे अपनी अन्तिमावस्था में भी इस बात की नहीं भले थे। अतः पिछले लोगों का कह गये कि हम जो इस महत्वपूर्ण कार्य को अधूरा छोड़ जाते हैं समय पाकर पूरा कर देना । बस, वह कार्य संस्था पर छोड़
SR No.002447
Book TitleAadarsh Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1940
Total Pages734
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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