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परिणामों का पलटा
राजकुँवरी को ऐसे धैर्य के बचन कहे कि जिससे उनको थोड़ा बहुत संतोष अवश्य हुआ ।
दूसरे ही दिन राजकुँवर ने अपने मकान पर श्रोघा पात्रादि साधु के कपड़े और कई सूत्र की प्रतिएँ देखीं तो आपका हृदय और भी घबड़ा गया; तथा आपने वह सब सामान गुप्त रीति से लेजाकर अपने सास-श्वसुर को दिखलाया और सब हाल कह सुनाया ।
मुताजी ने इतने दिन केवल हँसी की बातों में ही व्यतीत कर दिए थे किन्तु जब ओघा पात्रादि सामग्री देखी तो आपको इस बात पर विश्वास होगया कि गयवरचंद दीक्षा लेना चाहता है । फिर तो मुताजी से कैसे रहा जा सकता था, आपके दिल में बहुत दुःख हुआ और गणेशमल को भेजकर गयवरचंद को अपने पास बुलाया और साम, दाम, दंड, भेद आदि सब तरह के बचनों से खूब समझाया; इस पर आपने इतना ही कहा कि मुझे काल का विश्वास नहीं है, न जाने वह किस अवस्था में आकर भक्षण कर जावेगा, श्रतएव मुझे अपना आत्म कल्याण करने दीजिए । ताजी ने यहाँ तक धमकी दी कि या तो मेरा कहना मान कर तुम घर में रहना स्वीकार करलो अन्यथा मैं राज्य शक्ति द्वा तुम्हारी व तुम्हें दीक्षा लेने में सहायता करने वालोंकी खबर लेऊँगा ।
गवर बंद के दीक्षा की खबर सेलावास आपके सुसराल तक साधारणतया तो पहिले ही पहुँच गई थी पर जब विशेष समाचार सुने तो वे लोग भी एकत्रित होकर बीसलपुर श्राये और हमारे चरित्र नायकजी को बहुत कुछ कह सुन कर हैरान किया; किन्तु यहाँ हल्दी का रंग न था जो कि सहज में ही उड़जावे; पर यहाँ
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